गणेश चतुर्थी आरती | Ganesh Chaturthi Aarti: सुख-शांति

गणेश चतुर्थी का त्योहार हम सब हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण और धार्मिक उत्सव है, जिसमें भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। इस अवसर पर गणेश चतुर्थी आरती को भी किया जाता है। इसे किसी भी उम्र के व्यक्ति, चाहे वह बच्चा हो या बड़ा कर सकता है।

Ganesh chaturthi aarti का पाठ गणेश चतुर्थी के दिन विशेषतः सुबह और शाम में किया जाता है। प्रातःकाल में Ganesh ji ki aarti का पाठ करने से दिन की शुरुआत मंगलमय होती है, जबकि शाम को आरती का पाठ करने से दिन की चिंताओं और परेशानियों को दूर किया जाता है और घर में सुख-शांति का माहौल बनता है।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा…
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ..||

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी…
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा…||

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा…
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा …||

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया…||
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा…

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा …||
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा। 

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। 
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची आरती

सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची
कंठी झलके माल मुक्ता फलांची।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव
जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती।
जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जड़ित मुकुट शोभतो बरा
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव
जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती।
जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

लम्बोदर पीताम्बर फणिवर बंधना
सरल सोंड वक्र तुंड त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुर वर वंदना।
जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव
जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती।
जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव ||

गणेश चतुर्थी आरती विधि 

  1. तैयारियाँ:  पूजन स्थल को साफ़ और सुरक्षित बनाएं।गणेश चतुर्थी के लिए स्थानीय बाजार से Ganesh chaturthi pooja items आदि को तैयार करें। पूजन स्थल पर बैठने के लिए आसन स्थापित करें।
  2. पूजा का आरंभ:  अब धूप और दीप से आरती की शुरआत करें।
  3. आरती का पाठ:  आरती की थाली को हाथ में लेकर आरती गाएं। आरती के दौरान थाली को घूमाते हुए दीपक को गणेश जी को दिखाए।
  4. प्रार्थना और आरती समाप्ति:  गणेश जी से मन की इच्छाओं की प्रार्थना करें। आरती की थाली को पूजन स्थल पर रखें।
  5. प्रसाद वितरण:  पूजा का प्रसाद तैयार करें और उसे भगवान गणेश को अर्पित करें। प्रसाद को सभी भक्तों के बीच बांटें और उन सभी का आशीर्वाद लें।

नोट: इस आरती को आप ganesh chaturthi song को बजाकर गाने के साथ आरती कर सकते है।

 गणेश चतुर्थी आरती से होने वाले लाभ 

  • ध्यान और शांति: पाठ करने से पहले ध्यान में लगाने के लिए अनंत शांति और स्थिरता मिलती है और इससे ध्यान लगाकर आरती करने से हमारा मन शांत रहता है। 
  • मनोबल में सुधार: पाठ से मनोबल में सुधार होता है और व्यक्ति का मन स्थिर और प्रसन्न बनता है।और कोई भी काम मन से किया जा सकता है और शरीर चंचल रहता है। 
  • कर्मचारी शक्ति का वृद्धि: पाठ करने से कर्मचारी शक्ति में वृद्धि होती है, जिससे कार्यों को सहजता से संपन्न किया जा सकता है। जो की कर्मचारी होते है उनका काम तेजी से होने लगता है। 
  • समृद्धि और सफलता: पाठ करने से व्यक्ति को समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है, और उसके कार्यों में वृद्धि होती है।
  • परिवार में सुख और समृद्धि: आरती के पाठ से परिवार में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है, और परिवार के सभी सदस्यों के बीच आपसी सम्बंध में मेल-जोल बना रहता है। पूजा में पुरे परिवार एक होकर आरती का गान करते है। 

 FAQ 

आरती कब पढ़नी चाहिए?

दिन सुबह और शाम में गणेश चतुर्थी आरती का पाठ किया जाता है। प्रात:काल की आरती से दिन की शुरुआत होती है, जबकि शाम की आरती से दिन को समाप्त किया जाता है।

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